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Sunday, December 5, 2010
घोटालों का मौसम
देश में आजकल घोटालों का मौसम चल रहा है...हर कांग्रेसी घोटालोंबाजों को बचाने में लगा है तो भाजपा का हर नेता सरकार को आड़े हाथों ले रहा है...सरकार जेपीसी की मांग नहीं मान रही है...और विपक्ष इस पर अड़ा हुआ है...नतीजन संसद की कार्यवाही पंद्रह दिनों तक बाधित हो चुकी है...देश को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है...लेकिन सवाल उठता है कि...दोनों अपनी जिद पर क्यों अड़े हुए हैं...जहां विपक्ष जेपीसी के द्वारा प्रधानमंत्री समेत घोटाले में शामिल हर मंत्री से पूछताछ कराना चाहता है॥वहीं, प्रधानमंत्री की निष्क्रियता समेत केन्द्रीय सतर्कता आयोग के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से डांट खा चुकी यूपीए-२ सरकार और बेइज्जती नहीं झेलनी चाहती...लेकिन घोटाला करते समय इन्हें ये याद नहीं रहता कि...जाना एक दिन उसी जनता के दरबार में है॥जिसने उन्हें चुनकर देश की शीर्ष कानून बनाने वाली संस्था में भेजा है...हास्यास्पद बात तो ये है कि...अब सरकार से जुड़े लोग बचाव का रास्ता छोड़ हमले की नीति पर चलने की कोशिश कर रहे हैं...वे एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपये के घोटाले, सत्तर हजार करोड़ रुपये के घोटालों को जायज ठहराने के लिए दस साल पहले के बंगारु लक्ष्मण के तहलका मामले का हवाला दे रहे हैं...और वो भी केन्द्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर सरकार को और मुश्किलों में ही डाल रहे हैं...
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