पचास हजार में बनाया जाता है ईसाई, फल फूल रहा धर्मांतरण का धंधा
‘ईसाई बन जाआ॓ पूरे पचास हजार रूपए मिलेंगे।’ उड़ीसा में बेहद गरीब, दलित और आदिवासियों को इतनी ही रकम देकर ईसाई बनाया जाता है। कंधमाल में हिंसा के शिकार हुए तमाम आदिवासी ऐसे ही ईसाई बने हैं। उड़ीसा में धर्मांतरण का धंधा खूब फलफूल रहा है। इस काम में कई एजेंट सक्रिय हैं। एजेंट इसलिए भी धर्मांतरण में रूचि लेते हैं क्योंकि एक दलित या आदिवासी को ईसाई बनाने पर सारे खर्चे के बाद लाख रूपए की मोटी रकम उसे बच जाती है।केंद्रीय मंत्री शरद पवार के नेतृत्व में कंधमाल के राहत शिविरों का जायजा लेने गई श्रीमती मीरा कुमार और पीआर किंडिया की टीम ने धर्मांतरण के गोरखधंधे के बारे में जब अपनी कानों से सुना तो उसे सहज विश्वास ही नहीं हुआ। टीम को यह भी पता चला है कि कोई पचास से ज्यादा संस्थाएं धड़ल्ले से धर्मांतरण के काम में जुटी हैं। जब मंत्रियों ने रूचि दिखाकर इस माजरे को समझना चाहा तो उन्हें बताया गया कि गरीब आदिवासी इस वजह से ईसाई बन जाते हैं कि 50 हजार रूपए मिलने के साथ-साथ उन्हें धर्मांतरण के बाद भी आरक्षण का एवं अन्य सरकारी लाभ पूर्ववत जारी रहते हैं।शिविर में मंत्रियों को इस बारे में भी बताया गया कि कैसे शिक्षा और चिकित्सा जैसे पेशे से जुड़े व्यक्ति एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें स्री और पुरूष दोनों हैं जो गरीबों के सामने ईसाई धर्म को इस तरह से पेश करते हैं मानो उनकी सारी मुश्किलों का हल इसको अपनाने भर से निकल आएगा। जब मंत्रियों ने एजेंटों के काम करने की शैली को समझा तो उन्हें मालूम हुआ कि वे उन गरीब और खेतिहर मजदूरों को पकड़ते हैं जो या तो कर्ज में डूबे हैं या जिनका अपने गांव में सम्मान नहीं है। धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं ने गांवों में अपने एजेंट छोड़े हुए हैं। धर्म बदलने वाले दलित-आदिवासी और एजेंटों को हिंदू संगठनों का डर सताता रहता है क्योंकि उनसे जुड़े कार्यकर्ता पकड़ में आने पर इनको जमकर पीटते हैं। कई दलित-आदिवासियों ने बताया कि हिंदू संगठनों के डर से कई व्यक्ति फिर से धर्म बदलकर हिंदू बन जाते हैं।लक्ष्मानंद की सुरक्षा क्यों छीनी ? मंत्रियों की टीम इस बात से भी अंचभित है कि विहिप नेता स्वामी लक्ष्मानंद सरस्वती की सुरक्षा दो दिन पहले किसके कहने पर हटा ली गई थी। दिल्ली से गए मंत्रियों को बहुत कोशिश के बावजूद इसका जवाब नहीं मिल सका। प्रधानमंत्री को दी जाने वाली रिपोर्ट में मंत्रीगण स्वामी लक्ष्मानंद सरस्वती की सुरक्षा हटाए जाने का मुद्दा भी रखने वाले हैं, क्योंकि उनकी हत्या के बाद ही कंधमाल में हिंसा भड़की थी और तमाम लोग बेघर हो गए थे।