Thursday, May 12, 2011

धत् बुर्बक...राहुल गांधी


कांग्रेस के इस युवराज को कभी कभी आम आदमी की याद आ जाती है...लेकिन वो भी कभी कभी....मजेदार बात ये है कि...आम आदमी के नाम पर लड़ने का दिखावा करने वाला ये राहुल बाबा के इस पैंतरे कॉ मायावती ने बुरी तरह कुचल दिया....यूपी की हर बड़ी घटना के चार दिनों बाद घटनास्थल पर पहुंचने वाले भारत के इस नये-नवेले राजनीतिज्ञ को भट्टा परसौल की घटना से थोड़ी फुटेज मिली....महिलाओं को सांत्वना दी...लोगों के दुख दर्द बांटने की एक्टिंग की....धरना पर भी बैठे..मगर आपको याद दिला दें कि...यही राहुल गांधी थे...जिन्होंने अन्ना हजारे के अनशन को हीरोगिरी कहा था.. और कहा था कि...धरने पर बैठने से समस्यायें खत्म नहीं होती....आज हम इस कांग्रेस के दुलारे लेकिन बुर्बक महासचिव से पूछना चाहते हैं कि...आपका ये धरना हीरोगिरी नहीं तो क्या है....आपको गैर कांग्रेसी सरकारों में ही किसानों और महिलाओं पर अत्याचार क्यों नजर आता है...؟आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के किसान आपको याद नहीं आते हैं...आंध्र प्रदेश में तो महिलाओं पर गोलियां तक चलाई जाती हैं....तब राहुल बाबा को न गोलियों की आवाज सुनाई देती है..न किसानों की समस्या दिखाई देती है,....मिशन यूपी-2012 की तैयारी में लगे राहुल गांधी ने शायद बिहार के चुनाव से कुछ भी नहीं सीखा....खैर अगले साल जनता उनको और उनकी औकात बतायेगी..

Tuesday, May 3, 2011

दिग्गी के कमीने बोल


कांग्रेस के इस वाचाल महासचिव दिग्विजय सिंह मुसलमानों का वोट अपनी पार्टी को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं....कभी बाटला हाउस मुठभेड़ पर सवाल उठाने के बाद आजमगढ़ जाकर आतंकियों के परिजनों को सांत्वना देते हैं तो कभी मुम्बई हमले में मारे गये मुम्बई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे की मौत के पीछे हिन्दू संगठनों का हाथ बताते हैं...इतना होता तो फिर भी काफी था॥लेकिन इस आतंकियों के पैरोकार को अब अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादियों से भी लगाव होने लगा है॥ओसामा की हत्या के बाद उसके उचित अंतिम संस्कार की वकालत करने वाले दिग्विजय सिंह का मुसलमानों को बरगलाने का ये हथकंडा पुराना पड़ गया है॥मुसलमान भी इस महाराजा की गंदी नीयत को समझ चुके हैं॥लेकिन ये बेशर्मी की हर हद पार करते हुए किसी को भी गाली देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं,...इनकी मालकिन सोनिया भी दूसरे धर्मों के लोगों को दिखाने के लिए अपने इस पालतू बेगैरत और बेवकूफ महासचिव को बुलावा भेज देती है....लेकिन बाहर निकलने के बाद भी ये अड़ियल मध्यप्रदेश का पूर्व मुख्यमंत्री सीना ठोककर अपनी बात पर कायम रहने की बात करता है....हमें तो शायद यही लगता है कि...मुकेश चंद्र शर्मा की शहादत को भूलकर आजमगढ़ जाने वाला ये राजनीतिज्ञ अब सउदी अरब जाकर ओसामा की मौत पर आंसू बहायेगा औऱ अपने सर मुड़ायेगा...मगर समस्या ये है कि,...इसे सबक सिखाने वाला कोई नहीं मिल रहा॥जय हिन्द....