Saturday, January 9, 2010

दम तोड़ता रहा जवान....देखते रहा जमघट
















तमिलनाडु के तिरूनेलवली में शुक्रवार यानि आठ जनवरी को ऐसी घटना घटी,,,जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया...तमिलनाडु पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर को कुछ लोगों ने देशी बम मारकर मोटर साइकिल से गिरा दिया...फिर नारियल काटने वाले हंसिया से उसके पैर काट दिये और सिपाही के गर्दन पर भी वार किया,,,,इस सबके बावजूद सिपाही के हौंसले में कोई कमी नहीं आई और वो खुद मदद के लिए उन लोगों को बुलाता रहा जो उसके इस हाल का तमाशा देख रहे थे,,,लेकिन क्या मजाल कि कोई उसकी सहायता के लिए आगे आता,,,,पैर कटा, बम से जख्मी और गर्दन पर वार झेले पुलिस सब इंस्पेक्टर के दर्द की इतनी ही इन्तिहा नहीं रही,,,दुख तो तब हुआ जब तमिलनाडु सरकार के तीन तीन मंत्री अपने काफिले के साथ उस हृदयविदारक घटना को देखते रहे....बाद में पता नहीं, भगवान की कृपादृष्टि हुई या उन्हें खुद-ब खुद सद्बुद्धि आ गई,,,उनमें से कुछ लोग आगे बढ़े और उस जाबांज को अस्पताल ले गये,,,लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी,,,वो जवान मौत को गले लगा चुका था....सवाल उठता है कि क्या सेवा को धर्म मानने वाले देश में इस तरह की घटना बर्दाश्त करने लायक है,,,और खास कर उस इंसान के लिए..जो मरने तक लोगों की सुरक्षा और सेवा के लिए प्रतिबद्ध था,,,पैर कटने और गर्दन पर वार झेलने के बावजूद वो जवान उट कर बैठा,,,लोगों को सहायता के लिए हाथ हिला हिला कर बुलाता रहा,,,कहां गई थी,,,इंसानियत...कहां गई थी मानवता,,,क्या किसी को तरस नहीं आय़ा...उन नेताओं का जमीर कहां सोया था,,,जिनकी सुरक्षा में लगे पुलिस और सुरक्षा बल के जवान दिन रात लगे रहते हैं और अपनी जान तक की परवाह नहीं करते,.,,,बताया जा रहा है कि,,,वो सब इंस्पेक्टर किसी और के चक्कर में जान गंवा बैठा...लेकिन क्या तमिलनाडु में इस तरह किसी को मारे जाने को जायज ठहराया जा सकता है...चाहे वो पुलिस का जवान हो या कोई और,,,इस घटना को देखने के बाद तो यही लगता है कि,,,हम इक्कसवीं सदी के भारत में नहीं, बल्कि बर्बर युग में रह रहे हैं,,,,जरूरत इस बात की है कि,,,मारने वाले को तो इतनी कड़ी सजा दी जाये कि,,,दूसरा कोई इस तरह का घिनौना कारनामा करने से पहले एक हजार बार सोचे...और छोड़ना उन नेताओं को भी नहीं चाहिए,,,जो उस जवान की मौत का तमाशा देखते रहे,,,

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