Thursday, August 9, 2012

बिना मकसद के खत्म हुआ अन्ना का टेंशन

सरकार की सोलह महीने पुरानी टेंशन खत्म हो गई....ले के रहेंगे जनलोकपाल बिल के नारे के साथ सरकार को चुनौती देने उतरी टीम अन्ना का कोई अब अस्तित्व ही नहीं बचा...दिलचस्प बात तो ये है कि...मकसद तो हासिल हुआ नहीं...नई सियासी  पार्टी बनाने की घोषणा कर दी गई....नई उर्जा, नये जोश के साथ सड़कों पर अन्ना के समर्थन के लिए उतरे नौजवानों का सारा उत्साह भी काफूर हो गया... बेचारे मनमसोस कर रह गये...लेकिन सबसे ज्यादा मजा सरकार को आय़ा....सरकार के लिए सरदर्द बने बिन बुलाये मेहमान अन्ना की टीम ने जो नाक में दम कर रखा था वो टेंशन खत्म हुई,..अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि...क्यों 76 के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन कहे जाने वाले आंदोलन की ये परिणति हुई।....क्यों अन्ना की ये मुहिम बिना रंग दिखाये खत्म हो गई....इसका जवाब जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा....ये इस सरकार की या यूं कहें कि...केन्द्रीय गृहमंत्री रहे पी चिदंबरम के अतिउत्साह का ही दुष्परिणाम था कि...अन्ना हीरो बन गये औऱ सरकार विलेन....अन्ना को आंदोलन के लिए जगह देने की बजाये तिहाड़ में डालना सरकार की सबसे बड़ी भूल थी.. चार जून को रामदेव के साथ रामलीला मैदान में हुई घटना ने भी अन्ना के आंदोलन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई।...लेकिन जब सरकार को अपनी भूल का अहसास हुआ तो केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय  के अलावा अन्ना हजारे के आमरण अनशन पर बैठने को भी कोई भाव नहीं दिया..न कोई जबर्दस्ती, न कोई भाव देने वाला बयान...टीम अन्ना को लगा कि,...इस अनशन का कोई अंत नहीं है...शायद जिद में केजरीवाल, सिसोदिया औऱ गोपाल राय की जान भी चली जाये...तब टीम अन्ना ने कोई रास्ता न देखकर आंदोलन खत्म करना ही बेहतर रास्ता समझा...तब सवाल था कि...सरकार तो मानी नहीं...आंदोलन इतने दिनों तक चला...इसे खत्म कैसे करें....तब एक ऐसा शिगूफा छोड़ा गया कि..सांप भी  मर जाये...और लाठी भी टूट जाये... चुनाव में उतरकर सरकार से लड़ने का ऐसा शिगूफा छोड़ा गया कि....जनता सोचती रह जाये और आंदोलन को खत्म करने का रास्ता भी चुन लिया जाये....ठीक ऐसा ही हुआ।..लोग ये सोचने लगे कि...अब पार्टी बनेगी...सरकार में टीम अन्ना आयेगी और लोकपाल बनायेगी...लेकिन ये ऐसी दूर की कौड़ी है कि....जब तक ये सब होगा...लोग बाकी चीजों की तरह इसे भी भूल जायेंगे...और इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, गोपाल राय, योगेन्द्र, शाजिया और न जाने कौन कौन सेलिब्रेटी बन गये....जनलोकपाल बना न बना....टीम अन्ना का भला हो गया और अन्ना हजारे अपने पुराने मठ में लौट गये....लोग भविष्य की तैयारियों के बारे में सोचने लगे...सरकार बला टलने पर जश्न मनाने लगी...और टीम अन्ना के सदस्य बिना टीम के सेलिब्रेटी हो गये...