Sunday, January 16, 2011

लालचौक पर तिरंगा फहराने की भाजपा की घोषणा..राजनीति या चुनौती


भाजपा ने घोषणा कर दी है कि...२६ जनवरी २०११ को उसकी युवा ईकाई श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहरायेगी...जिसे कांग्रेस औऱ नेशनल कांफ्रेंस की सरकार राजनीति करार दे रही है... लेकिन मेरा सवाल है कि...अलगाववादियों के डर से जम्मू-कश्मीर को अपने देश के अखंड हिस्सा मानने वाले कांग्रेसी क्यों नहीं भाजपा के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं....क्यों नहीं, अलगाववादियों के मुंह पर करारा तमाचा मारने की भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर की इस घोषणा का स्वागत कर रही....शायद इसमें कांग्रेस की गलती नहीं...क्योंकि उसे तो करारा तमाचा खाने की आदत है...कभी चीन की तो कभी पाकिस्तानी कबायलियों की...तो कभी नई दिल्ली में केन्द्र सरकार के नाको के नीचे सरेआम कश्मीर की आजादी की वकालत करने वाले अलगाववादियों की...उदाहरण तो कई हैं...किस किस को गिनाऊं...कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की सरकार क्यों नहीं ऐसी व्यवस्था करती कि....भाजपा कई आतंकवादी घटनाओं का गवाह रहे लालचौक पर झंडा फहरा सके...आपको बता दें कि...इस लालचौक पर देश के दुश्मन अलगाववादियों के डर से प्रदेश सरकार ने देश की शान तिरंगा झंडा फहराना बंद कर दिया है...जम्मू-कश्मीर सरकार का तर्क है कि॥बड़ी मुश्किल से प्रदेश में पत्थरबाजों से निजात मिली है इस घटना से वहां फिर से स्थिति असामान्य हो सकती है...एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला जी से...मेरा नम्र निवेदन है कि...छोड़ दो उस प्रदेश की गद्दी॥जिसके पत्थरबाज नागरिकों को तुम काबू में नहीं कर सकते...जहां की स्थिति मात्र इसलिए खराब हो सकती है...कि देश के शान तिरंगे को कोई फहराने की कोशिश वहां करेगा॥
अगर अनुराग ठाकुर वहां झंडा फहरा देने में सफल होते हैं तो वे लाखों करोड़ों राष्ट्रवादी लोगों के लिए आदर्श कायम करेंगे...आपको बता दें कि...इससे पहले जम्मू-कश्मीर की भाजपा ईकाई ऐसी कोशिश कर चुकी है॥लेकिन प्रदेश सरकार ने बड़ी बहादुरी से इनकी इच्छाओं को कुचल दिय़ा था और पत्थरबाजों को काबू में करने में उसी सरकार को तीन महीने लगे...जिसमें सौ से ज्यादा लोग मारे गये...चलते-चलते...."जय हिंद॥"

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